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क्रेडिट स्कोर मापने के तरीके में होगा बदलाव, यूएलआई प्लेटफॉर्म से जुड़ेगा नया सिस्टम

अब बैंकों और नॉन-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं (NBFCs) से लोन लेने वालों के लिए क्रेडिट स्कोर तय करने का तरीका बदलने वाला है। भारत सरकार का वित्तीय सेवा विभाग अब क्रेडिट स्कोर का आकलन करने के लिए पारंपरिक सिबिल स्कोर की बजाय रियल टाइम डेटा आधारित यूएलआई प्लेटफॉर्म (Unified Ledger Interface) से जुड़ा नया तरीका अपनाने जा रहा है। यह बदलाव डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मिलकर लागू किया जाएगा।

यूएलआई एक डिजिटल डेटाबेस प्लेटफॉर्म है जिसे एशियन पेमेंट्स इंटरफेस के तहत तैयार किया गया है। इसकी मदद से अब किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर न होने पर भी उसकी वित्तीय लेनदेन और व्यवहार के आधार पर उसकी क्रेडिट योग्यता का आकलन किया जा सकेगा। यह बदलाव खास तौर पर उन ग्रामीण और वंचित वर्गों के लोगों के लिए फायदेमंद होगा जिनका कोई औपचारिक क्रेडिट इतिहास नहीं है।

क्या है सिबिल स्कोर और कैसे बनता है:
सिबिल स्कोर (या क्रेडिट स्कोर) 300 से 900 अंकों के बीच होता है और यह दर्शाता है कि कोई व्यक्ति कितना भरोसेमंद उधारकर्ता है। इस स्कोर का आधार होता है आपके द्वारा लिए गए लोन, क्रेडिट कार्ड के बिल भुगतान, बकाया रकम और समय पर भुगतान जैसी जानकारियाँ। इसे तैयार करने का जिम्मा ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) जैसी संस्थाएं निभाती हैं।

अब कैसे होगा क्रेडिट स्कोर का आकलन:
सरकार अब डिजिटल लेनदेन, बिजली बिल भुगतान, मोबाइल रिचार्ज, खेती-किसानी से जुड़े खर्च, लघु बचत योजनाओं में निवेश और अन्य सामान्य खर्चों के रिकॉर्ड के आधार पर व्यक्ति की क्रेडिट योग्यता तय करेगी। इससे उन लोगों को भी लोन मिल सकेगा जो अब तक सिबिल स्कोर न होने की वजह से वंचित रह जाते थे। खास बात यह है कि यह स्कोर रियल टाइम डेटा के आधार पर अपडेट होता रहेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू:
ग्रामीण इलाकों में यह नई प्रणाली पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दी गई है। सरकार का मानना है कि इससे लाखों ग्रामीण और छोटे कस्बों में रहने वाले लोगों को बैंकिंग सुविधा और लोन की पहुंच मिलेगी।

नया क्रेडिट सिस्टम क्यों जरूरी है:
सरकार का उद्देश्य है कि वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा मिले और जो लोग अभी तक औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से बाहर हैं उन्हें भी क्रेडिट सुविधा मिल सके। वर्तमान सिबिल प्रणाली केवल पुराने लोन या क्रेडिट कार्ड उपयोग पर आधारित है, जबकि नया सिस्टम डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल व्यवहार पर आधारित होगा।

निष्कर्ष:
अब क्रेडिट स्कोर सिर्फ लोन या क्रेडिट कार्ड से नहीं, बल्कि आपके सामान्य डिजिटल व्यवहार से तय किया जाएगा। इससे करोड़ों नए लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा जा सकेगा और लोन लेना पहले से आसान हो जाएगा।

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