भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक बार फिर मौद्रिक नीति में नरमी दिखाने जा रहा है। 6 जून 2025 को खत्म होने वाली तीन दिवसीय बैठक के बाद माना जा रहा है कि रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती की जाएगी। यह लगातार तीसरी बार होगा जब RBI अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में कटौती करेगा।
वजह क्या है?
देश की आर्थिक ग्रोथ धीमी हो गई है — FY25 में GDP ग्रोथ 6.5% रही, जबकि पिछले साल यह 9.2% थी। हालांकि मार्च तिमाही में ग्रोथ 7.4% रही जो उम्मीद से बेहतर है। वहीं दूसरी ओर महंगाई दर भी RBI के 4% के लक्ष्य के भीतर बनी हुई है, जिससे मौद्रिक नीति में और नरमी की गुंजाइश बनती है।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना क्यों?
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनविस का कहना है कि महंगाई के हालात काबू में हैं और RBI ने लिक्विडिटी को काफी आसान बना दिया है, इसलिए 25bps की कटौती लगभग तय मानी जा रही है।
ICICI सिक्योरिटीज के ए. प्रसन्ना का मानना है कि जनवरी-मार्च की मजबूत GDP ग्रोथ ने यह दिखा दिया है कि धीमी रफ्तार से दरों में कटौती का रास्ता साफ है। RBI के पास अब दोनों ओर के डेटा शॉक से निपटने की अच्छी स्थिति है।
RBI पहले ही मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठा चुका है। इस बार उसने आमतौर पर जो मनी मार्केट से फंड खींचने का काम करता है, वो नहीं किया, जिससे बैंकिंग सिस्टम में पैसे की कोई कमी नहीं है।
क्रिसिल को उम्मीद है कि पूरे वित्त वर्ष में RBI कुल 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। इसके पीछे वजह है अच्छा मानसून (106% of LPA), घटते क्रूड ऑयल के दाम ($65–70 प्रति बैरल), और ग्रामीण मांग में सुधार जो खाद्य महंगाई को काबू में रखेंगे।
RBI द्वारा 6 जून को रेपो रेट में फिर से कटौती की जा सकती है। इस कदम से लोन सस्ते होंगे, निवेश को बढ़ावा मिलेगा और बाजार में मांग में तेजी आ सकती है। महंगाई काबू में है और ग्रोथ स्थिर है, इसलिए यह कदम समय की जरूरत भी है।