सरकार की नई नीति से इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम अब कम होने जा रहे हैं। विदेशी कंपनियों को भारत में ईवी मैन्युफैक्चरिंग के लिए निवेश करने पर आयात शुल्क में भारी छूट दी जाएगी। अभी तक कंपनियों को इलेक्ट्रिक कारों के आयात पर 70% से 100% तक की कस्टम ड्यूटी देनी पड़ती थी, लेकिन अब यह टैक्स सिर्फ 15% रह जाएगा। इसके लिए सरकार ने सोमवार को नई EV पॉलिसी को मंजूरी दे दी है।
नई नीति के तहत, जो विदेशी वाहन निर्माता कंपनियां भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी और EV मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू करेंगी, उन्हें यह बड़ी राहत मिलेगी। इसके लिए एक आवेदन विंडो खोली जाएगी जो आने वाले कुछ हफ्तों में शुरू हो सकती है और 120 दिनों तक खुली रहेगी। इस आवेदन विंडो के बाद कंपनियां सिर्फ 15% कस्टम ड्यूटी पर सालाना 8,000 इलेक्ट्रिक कारें आयात कर सकेंगी।
सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत में ईवी सेक्टर को बढ़ावा देना और विदेशी मैन्युफैक्चरर्स को देश में आकर्षित करना है। नीति के अनुसार, कंपनियों को यह अनुमति तभी मिलेगी जब वे अगले तीन सालों के भीतर भारत में प्रोडक्शन शुरू करें। यही नहीं, कंपनियों द्वारा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर किए गए खर्च को निवेश का हिस्सा माना जाएगा, जो कुल निवेश का 5% तक हो सकता है।
ऐसी कंपनियां ही आवेदन कर पाएंगी जिनकी वार्षिक वैश्विक आय 10,000 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा है। हालांकि, चीन की कंपनियों जैसे BYD आदि को यह छूट मिलेगी या नहीं, इसे लेकर अब तक सरकार ने कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि उनके लिए अलग पॉलिसी लाई जा सकती है या कुछ अतिरिक्त शर्तें लागू होंगी।
नई EV पॉलिसी के लागू होने के बाद आने वाले समय में भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। इससे न केवल आम उपभोक्ता को सस्ते ई-वाहन मिलेंगे, बल्कि देश की स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। इसके साथ ही सरकार ने यह भी शर्त रखी है कि मंजूरी पाने वाली कंपनियों को तीन साल में देश में निर्माण शुरू करना अनिवार्य होगा।
सरकार का यह फैसला देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और उपयोग को तेजी से बढ़ावा देगा। इससे न सिर्फ विदेशी निवेश आएगा, बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं को ज्यादा विकल्प और सस्ते EV मॉडल्स भी मिल सकेंगे।