देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक सकारात्मक खबर सामने आई है। वित्त वर्ष 2024-25 की जनवरी-मार्च तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.4% दर्ज की गई है। यह आंकड़ा यह बताता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार अभी भी तेज बनी हुई है। इससे पहले पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भी देश की वित्तीय वृद्धि दर 6.5% पर आकर स्थिर रही, जो कि वैश्विक अस्थिरताओं और आर्थिक चुनौतियों के बीच एक मजबूत संकेत माना जा रहा है।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था का कुल आकार बढ़कर अब 330.68 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका निर्माण क्षेत्र और सेवाओं के क्षेत्र की रही, जिसने मार्च तिमाही में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी तिमाही में 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में यह दर 6.2% थी।
अगर पूरे साल की बात करें तो वर्ष 2023-24 में जीडीपी की दर 7.0% से गिरकर 6.5% रही है, लेकिन यह अभी भी देश की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है। खास बात यह है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद अब 330 लाख करोड़ से भी अधिक हो गया है, जो कि सरकार के विभिन्न आर्थिक सुधारों और निवेशों का नतीजा है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, निजी खपत और निवेश में इजाफा हुआ है, जबकि सरकारी खर्च और पूंजीगत निवेश ने भी ग्रोथ में योगदान दिया है। विशेष रूप से मार्च तिमाही में निर्यात में भी सुधार देखा गया, जिससे विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि हुई।
सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भी 6.5% की वृद्धि दर कायम रह सकती है। नीति आयोग और आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि यदि वैश्विक स्थिति स्थिर रहती है, तो आने वाले महीनों में भारत की ग्रोथ और तेज हो सकती है।
इस रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी मजबूत स्थिति में है और अगले कुछ वर्षों में इसके और अधिक विस्तार की उम्मीद है। बढ़ती हुई निवेश दर, रोजगार निर्माण और निर्यात में सुधार आने वाले समय में जीडीपी के और बेहतर आंकड़े ला सकते हैं।